मुंशी प्रेमचन्द के जन्मदिवस पर क्रन्तिकारी सलाम**इस्लाम पर प्रेमचंद*
*मुंशी प्रेमचन्द के जन्मदिवस पर क्रन्तिकारी सलाम*
*इस्लाम पर प्रेमचंद*
"यह बिलकुल गलत है, कि इस्लाम तलवार के बल से फैला। तलवार के बल से कोई धर्म नहीं फैलता और कुछ दिनों के लिए फ़ैल भी जाय, तो चिरजीवी नहीं हो सकता। भारत में इस्लाम के फैलने का कारण, ऊंची जातवाले हिन्दुओं का नीची जातियों पर अत्याचार था। बौद्धों ने ऊंच नीच का भेद मिटाकर नीचों के उद्धार का प्रयास किया और इसमें उन्हें अच्छी सफलता मिली, लेकिन जब हिन्दू धर्म ने फिर ज़ोर पकड़ा, तो नीची जातियों पर फिर वही पुराना अत्याचार शुरू हुआ, बल्कि और जोरों के साथ। ऊंचों ने नीचों से उनके विद्रोह का बदला लेने की ठानी.... यह खींच-तान हो ही रही थी कि इसलाम ने नए सिद्धांतों के साथ पदार्पण किया। वहां उंच-नीच का भेद न था। छोटे-बड़े, उंच-नीच की कैद न थी... इसलिए नीचों ने इस नए धर्म का बड़े हर्ष से स्वागत किया और गाँव के गाँव मुसलमान हो गए. जहाँ वर्गीय हिन्दुओं का अत्याचार जितना ही ज्यादा था, वहां यह विरोधाग्नि भी उतनी ही प्रचंड थी,और वहीं इसलाम की तबलीग भी खूब हुयी। यह है इसलाम के फैलने का इतिहास, और आज भी वर्गीय हिन्दू अपने पुराने संस्कारों को नहीं बदल सके हैं.... तो इसलाम तलवार के बल से नहीं ,बल्कि अपने धर्म-तत्वों की व्यापकता के बल से फैला।"
*प्रेमचंद*
*नवम्बर 1931*
*आन्दोलन पर प्रेमचंद*
“लोग कहते हैं आन्दोलन, प्रदर्शन और जुलूस निकालने से क्या होता है..? इससे यह सिद्ध होता है कि हम जीवित हैं, अटल हैं और मैदान से हटे नहीं हैं। हमें अपने हार ना मानने वाले स्वाभिमान का प्रमाण देना था। हमें यह दिखाना है कि हम गोलियों और अत्याचार से भयभीत होकर अपने लक्ष्य से हटने वाले नहीं और हम उस व्यवस्था का अंत करके रहेंगे जिसका आधार स्वार्थीपन और खून पर है।"
*प्रेमचंद*
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